Thursday 2 January 2014

muneemji

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Aam aadmi

पिछले  कुछ समय से लफ्ज़ ए  आम आदमी बड़ी चर्चा में है सारे सियासी लोग यह साबित करने में जुट गए के आम आदमी कौन है दिल्ली विधानसभा में विश्वास मत पत्र के दौरान कुछ महानुभावों ने रौशनी डाली के आम आदमी वो नहीं जो २८ कि संख्या में चुन के आये हैं. भाजपा के नेता हर्षवर्धन  ने गिनाया इनमें कई करोड़पति लोग है इसीलिए वो आम आदमी नहीं दूसरे उन्ही के दल के  एक साहेब तो सभी के घरों कि कीमत बताने लगे के किसी के पास १करोद का मकान है तो किसी के पास ५१००० और इनके हिसाब से यह आम आदमी नहीं बड़ी हैरानी हुई यह सुनके इनके इस कथन का तो येही मतलब निकलता है के हम नेताओं ने आम आदमी को इतना कमाने दिया ही नहीं इतने वर्षों से इसीलिए हम ही बता सकते हैं के आम आदमी कौन है।

आखरी में अरविन्द ने इसका जवाब देते हुए बताया के उनके हिसाब से आम आदमी कौन है उन्होंने कहा के हर वो शख्स जो ईमानदार है आम आदमी है और बेईमान ख़ास आदमी है उनके इस कथन से मैं पूरी तरह सहमत नहीं हूँ,क्यूंकि इस देश में और संसार में ऐसे कई लोग हैं जो मजबूरी में बेईमानी कर बैठते है कुछ वाकये देखे गए हैं के कैसे आदमी १०० रुपये के लिए जेल पहुंचा है कैसे किसी औरत को मजबूर हो कर अपना जिस्म बेचना पड़ा तो क्या वो आम आदमी नहीं रहा हालांकि पुरुषों का मन मजबूत होता है स्त्रियों की  बनिस्बत  पर ऐसे किस्से देख कर उसका मन भी रो पड़ेगा मेरी यह खुशकिस्मती रही के मुझे कभी ऐसा कुछ करने कि ज़रुरत नहीं पड़ी पर मैं यह नहीं केह सकता के अगर मुझ पर कोई ख़ास मुश्किल आ जाती तब भी मैं ऐसा कुछ नहीं करता क्युंके कहना बड़ा आसान है

अब हम यह देखेंगे के वास्तव में यह आम आदमी है कौन इसे ढूंढ़ना इसे समझना और इसे जानना तो इतना मुश्किल हो गया जितना ईश्वर के बारे में जानना,वास्तव में आम आदमी वो है जो पैसे,बाहुबल और पावर के बल पर दूसरों को परेशान नहीं करता जो दूसरों का हक़ नहीं मारता जब कोई पैसे वाला अपने पैसे के बल पर किसी को प्रताड़ित करता है ,अपने फायदे कि नीति बनवाता है सरकार से तब वो आम से ख़ास हो जाता है जब कोई अपने बाहुबल के दम पे ऐसा कुछ करता है वो ख़ास कहलाता है जब कोई नेता अपनी ख़ास परिस्थिति की वजह से ऐसा कुछ करता है वो ख़ास हो जाता है अगर हम यह कहें कोई अपनी विशेष बुद्धि के बल पर भी समाज के हितों के विरुद्ध काम करता है तो वो ख़ास है एक वाक्य में कहना हो तो हम कह सकते हैं के कोई अपनी विशेष परिस्थिति का फायदा उठाकर दूसरों के हितों पर आघात करता है तो वो ख़ास आदमी है

 हमें जानना होगा आम आदमी रहता कहाँ है भाजपा के साहेब ने कहा आम आदमी रैन बसेरे में रहता है सदियों से हम यही करते आये हैं ईश्वर मंदिर,मस्जिद गुरद्वारे में रहता है आज साहेब सिंह ने ठीक उसी तरह आम आदमी को रैन बसेरे में कैद कर दिया। दूसरों का दुःख देख जिसका मन द्रवित होता है वो आम आदमी है भले ही वो उनके लिए कुछ कर न पाये हम अगर इसकी समीक्षा करेंगे तो ईश्वर और आम आदमी में बड़ी समानताएं हैं और अगर यह नेता समझ जाएं के ईश्वर कि सेवा करनी है तो आम आदमी की सेवा कि जाए तो सभी के लिए बेहतर होगा।संत के दिल में ईश्वर होता है,आम आदमी होता है और वो उसी की सेवा करता है. 

अब प्रश्न यह उठता है के अरविन्द जैसे लोग किस श्रेणी में आते हैं ख़ास है या आम अगर मैं यह कहूं के दोनों श्रेणी में नहीं आते तो गलत नही होगा अरविन्द जैसे लोग संतों की श्रेणी में आते हैं यह लोग आम आदमी को   ईश्वर को जानने निकले हैं उसकी सेवा में निकले हैं किसी के दर्द में दर्द महसूस करना और उसे दूर करने का प्रयास करना दो अलग बातें हैं और यही फ़र्क़ है आम आदमी और संत में मुझे उम्मीद है के यह लम्बे समय आम आदमी के दुःख दूर कर उन्हें खुशहाल बनाने का अपना यह प्रयास करते रहेंगे।